15 नवंबर 2011

vyatha

शेष ....
व्यथा
.....

सुरमई रश्मियाँ 
चूम बदन को 
चली गई पाल के साथ साथ 
तम की एक रेखा 
खिंच गई इस पार
उतर गई दिल में 
लकीर बन 
व्यथा 

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