व्यथा
मैं तट पर ही खड़ा
रह गया
देखता रहा
दूर जा रहे पाल को
दूर दूर होता वह
व्यथा की लहर खींचता हुआ
यह कैसी लहर थी ?
मेरा मन ले जाती
पाल के साथ साथ
पर लौटती
व्यथा लिये साथ साथ
चूम लेतीus मेरे पांव
पीयुश्वर्शी बादल
छ्ल चले गये
रीता श्वेत बादल
थमा गये
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